कई सालों बाद हिंदुओं का मलमास और मुसलमानों का पाक महीना रमजान एक साथ शुरू हो रहा है। 16 मई से मलमास शुरू हो रहा है तो वहीं 15-16 मई से पाक महीना रमजान भी शुरू हो रहा है। 16 मई से रमजान का 1439 रोजा शुरू हो रहा है और 15 जून तक चलेगा। जबकि मलमास 16 मई से शुरू होकर 14 जून तक चलेगा।
रमजान का महत्व
इस्लाम की बुनियाद में चार अरकान हैं। इनमें से एक अरकान रोजा रखना होता है। यानि एक महीने तक मुस्लिम भाई रोजा रखते हैं। एक महीने का रोजा मुसलमान को सब्र सिखाता है। रोजे की 26वीं रात शबे कद्र कहलाती है। रातभर इबादत होती है। अल्लाह से दुआ मांगी जाती है, जो कुबूल होती है।
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मलमास का महत्व
मलमास को अधिकमास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। भागवत, स्नान, दान, पूजन आदि का अधिक महत्व माना जाता है। ये माह हिंदुओं का पवित्र त्योहार होता है। पूजा पाठ करने से कई गुना फल प्राप्त होता है। हालांकि मलमास के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है। यानी इस दौरान शादी, सगाई, लगन, गृह प्रवेश, नए घर का निर्माण आदि जैसे काम नहीं होंगे। यही नहीं, जिस साल मलमास लगता है, उस साल कोई भी नया व्रत नहीं उठाते. जैसे कि तीज, करवा चौथ आदि जैसे व्रत मलमास में नहीं उठाए जाएंगे. यानी आप यदि पहली बार व्रत करने जा रहे हैं तो मलमास में व्रत ना करें।
10 साल बाद आ रहा है महासंयोग
धर्मगुरुओं के मुताबिक 10 साल बाद पूजा और इबादत के इस संयोग में दोनों धर्म के लोग एक साथ अपने-अपने पर्व मनाएंगे। इससे पहले साल 2008 में अधिक मास और रमजान एक साथ आए थे। हिंदू धर्म के लोग मंदिरों, आश्रमों में पूजा, पाठ, जप, अनुष्ठान व कथा-प्रवचन करेंगे। रमजान में नमाज व इबादत के साथ रोजे रखकर दुआ मांगने का दौर चलेगा। मान्यता है कि मलमास के दौरान हिंदुओं के 33 कोटि देवी देवता राजगीर में प्रवास करते हैं और वहां स्नान करने से मनचाहा फल मिलता है। तो वहीं, रोजा के दौरान इबादत करने के दुआ कबूल हो जाती है ।
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