
भागलपुर हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत ने पटना में सरेंडर किया। गहमागहमी के बीच अर्जित चौबे ने डिशनल एसपी राकेश दुबे और स्पेशल ब्रांच की टीम के सामने समर्पण किया। जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया । कोर्ट ने अर्जित शाश्वत को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। रात करीब सवा 12 बजे अर्जित दर्जनों समर्थकों के साथ पटना जंक्शन स्थित हनुमान मंदिर पहुंचे और पूजा अर्चना की। इसके पहले कार्यकर्ताओं ने जय श्रीराम और भारत माता की जय के नारे लगाए।
शाश्वत ने कहा कि मैं भागा नहीं था। इस देश में भारत मां की जय बोलना कोई गुनाह नहीं है। मैंने कोई गुनाह नहीं किया है। अगर भारत मां की जय बोलना, वंदेमातरम और जय श्रीराम कहना अपराध है तो मैं अपराधी हूं। उन्होंने भागलपुर पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि हिंसा फैलाने के असली आरोपियों को नहीं पकड़ा जा रहा है और हमें बेवजह फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं न्यायालय का सम्मान करता हूं। अगर भागना होता तो आज नहीं आता। मैं सामाजिक, राजनैतिक कार्यकर्ता हूं। मैंने कोई अपराध नहीं किया है।
जमानत हुई थी नामंजूर:
इससे पहले भागलपुर हिंसा मामले में कोर्ट ने अर्जित शाश्वत चौबे की अग्रिम जमानत अर्जी को नामंजूर कर दिया था । सोमवार को इसपर बहस होने की संभावना है। प्रभारी जिला जज कुमुद रंजन सिंह के कोर्ट में सुनवाई हुई। अर्जित चौबे की ओर से अधिवक्ता वीरेश प्रसाद मिश्रा ने बहस में भाग लेते हुए कहा कि भारतीय नववर्ष के मौके पर प्रशासन को सूचित कर जुलूस निकाला गया था। जुलूस में कोई भी आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग या नारा नहीं लगाया गया था। केस डायरी में सिर्फ केस करनेवाले दारोगा, जांचकर्ता और पुलिस गवाह को आपत्ति हुई है। अर्जित चौबे ने उच्चतर शिक्षा प्राप्त की और भाजपा से चुनाव भी लड़े हैं। जुलूस में पुलिस खुद साथ चल रही थी। आरोपी अर्जित निर्दोष हैं। वहीं आरोपी भाजपा के महानगर अध्यक्ष अभय कुमार घोष समेत अन्य आठ आरोपियों की ओर से बहस कर रहे अधिवक्ता कामेश्वर पांडे ने कहा कि मीडिया, पुलिस और प्रशासन की ओर से मामले को तूल दिया गया है।
आरोपी अभय कुमार घोष शांति समिति के सदस्य भी हैं और उन्होंने एसएसपी को स्वयं जुलूस के लिए आवेदन दिया था। सरकार की ओर से बहस कर रहे लोक अभियोजक सत्यनारायण प्रसाद साह ने कहा कि अर्जित चौबे के कारण भागलपुर से बाहर भी माहौल खराब हो गया है। आपत्तिजनक नारा से एक पक्ष विशेष को ठेस पहुंचा है। ऐसे लोगों को जमानत नहीं मिलनी चाहिए। कोर्ट ने केस डायरी की स्टडी करने के बाद जमानत अर्जी खारिज कर दी।
17 मार्च को जुलूस के दौरान हुई थी हिंसा:
आपको बता दें कि 17 मार्च को भारतीय नववर्ष के मौके पर सैंडिस कंपाउंड से जुलूस निकाला गया था। नाथनगर मदनीनगर चौक के पास एक पक्ष ने आपत्ति की थी। उसके बाद दो पक्षों के बीच माहौल खराब हो गया था। मारपीट, पथराव, आगजनी, तोड़फोड़ और गोलीबारी की घटना घटी थी। घटना को लेकर नाथनगर थाना कांड संख्या 176/018 दर्ज की गई थी। इस मामले में अर्जित चौबे और महानगर अध्यक्ष अभय घोष समेत नौ लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया था। जिसके बाद सूबे की सियासत भी गरमा गई थी । भागलपुर में हिंसा के बाद बिहार के करीब छह जिलों में हिंसा हुई । विपक्ष इसे नीतीश सरकार की विफलता कह रहा था ।