केंद्र सरकार ने बिहार के करीब चार लाख नियोजित शिक्षकों को जोरदार झटका दिया है। समान काम के लिए समान वेतन के मामले में केंद्र सरकार ने बिहार सरकार के सुर में सुर मिलाया है। दरअसल,गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में समान कार्य के लिए समान वेतन मामले पर सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने बिहार सरकार का समर्थन करते हुए समान कार्य के लिए समान वेतन का विरोध किया।
क्या है केंद्र सरकार की दलील
सुप्रीम कोर्ट में बिहार सरकार का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि ये समान कार्य के लिए समान वेतन की कैटेगरी में नहीं आते हैं। साथ ही केंद्र सरकार का कहना था कि अगर नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाता है तो केंद्र पर करीब 40 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार आयेगा। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि अगर एक राज्य की सैलरी पर विचार किया जाता है तो बाकी राज्यों में भी समान काम के लिए समान वेतन की मांग उठने लगेगी। आपको बता दें कि बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर सालाना 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है। अगर सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट जैसा फैसला आता है तो नियोजित शिक्षकों का वेतन ढ़ाई गुना बढ़ जायेगा और इस तरह सरकारी खजाने पर 11 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा।
31जुलाई को होगी अंतिम सुनवाई
समान काम के लिए समान वेतन मामले में सुप्रीम कोर्ट में अंतिम सुनवाई 31 जुलाई होगी। दरअसल, पहले 12 जुलाई को ही इस मामले में अंतिम सुनवाई होनी थी। लेकिन केंद्र सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए कुछ और वक्त मांगा। जिसके बाद अब 31 जुलाई को अंतिम सुनवाई की तारीख रखी गई है।