नालंदा के जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह के काम करने का अंदाज कुछ अलग ही है. वो वैसे अधिकारी नहीं हैं जो कुछ आदेश दिया और भूल गए. वो अगर कोई निर्देश देते हैं तो एक समय के बाद उसका फॉलोअप भी लेते हैं. यानि वो ये जानने की कोशिश जरूर करते हैं कि उनके आदेश को मातहत कर्मचारी लागू करते हैं या फिर आई बात गई बात समझकर भूला दिया है। क्योंकि अधिकारियों को पुराने निर्देशों की अनदेखी करने की आदत जो है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पिछले साल सरकार ने सभी बीडीओ को हर गुरुवार को पंचायतवार कार्यशाला का आयोजन कराने का निर्देश दिया था. जिसमें आम लोगों की सरकारी योजनाओं से जुड़ी शिकायतें सुनी जाएं और उनका तत्काल समाधान किया जाए। परंतु इस निर्देश के जारी हुए एक साल होने को हैं, अधिकांश बीडीओ ने इस पर अमल नहीं शुरू किया है। कुछ पंचायतों में एक-दो बार कार्यशाला कराई गई, फिर अचानक परम्परा बंद कर दी गई। वजह बीडीओ साहब की अन्य कार्यों में व्यस्तता बताई गई।
सभी बीडीओ से मांगी गई रिपोर्ट
करीब साल भर बाद डीएम योगेन्द्र सिंह जिले के सभी 20 बीडीओ को पत्र भेजा है और उनसे अपने-अपने प्रखंड में आयोजित की गई पंचायत स्तरीय कार्यशाला का तिथिवार ब्योरा तलब किया है। इस आशय का पत्र मिलते अधिकतर बीडीओ के हाथ-पांव फूल गए हैं। उन्होंने जवाब देते नहीं सूझ रहा है। डीएम ने अपने पत्र में लिखा है कि किसी भी प्रखंड से पंचायत स्तरीय कार्यशाला आयोजित किए जाने का कोई भी प्रतिवेदन उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है। इससे स्पष्ट है कि दिए गए निर्देशों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है, जो संतोषजनक नहीं है।
सख्त कार्रवाई के संकेत
योगेंद्र सिंह की पहचान कड़क आईएएस अधिकारी के तौर पर की जाती है । जो काम में लापरवाही को लेकर जीरो टॉलरेंस बरतते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर बीडीओ से संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो जिलाधिकारी कार्रवाई करने से नहीं चूकेंगे