चैती छठ महापर्व शुरू, जानिए सुबह और शाम के अर्घ्य का समय

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नहाय खाय के साथ ही चैती छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है। ये महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। वैसे तो कार्तिक मास में आने वाले छठ पर्व को अधिक महत्व दिया जाता है लेकिन चैती छठ का महत्व पूर्वांचल के लोगों के लिए एक समान ही होता है। यह पर्व सूर्य देव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है और छठ देवी भगवान सूर्य की बहन हैं। इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न कने के लिए सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर सूर्य देव की अराधना की जाती है।

36 घंटे का निर्जला व्रत
खरना व्रत की संध्याकाल में उपासक प्रसाद के रूप में गुड-खीर, रोटी और फल का सेवन करते हैं और फिर अगले 36 घंटों तक निर्जला व्रत रखते हैं। मान्यता है खरना पूजन से छठ देवी की कृपा प्राप्त होती है और मां घर में वास करती हैं। छठ पूजा में षष्ठी तिथि का अहम मानी जाती है इस दिन नदी या जलाशय के तट पर उदीयमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और पर्व का समापन करते हैं।

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चैती छठ ज्यादा कष्टकारी
दरअसल, नई फसल के बाद किसान परिवारों में चैत्र महीने में होने वाले सूर्य उपासना के इस महापर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि गर्मी के कारण 36 घंटे का निर्जला उपवास बहुत ही कठिन होता है लेकिन फिर भी कई लोग चैती छठ को धूमधाम से मनाते हैं। कार्तिक मास के अपेक्षा चैती छठ को कम ही लोग मनाते हैं। चैती छठ के लिए कृत्रिम तालाब कम संख्या में तैयार किए गए हैं।

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महापर्व का महात्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। सभी महिलाएं इस व्रत को अपने संतान की दीर्घायु के लिए भी करती हैं। यह व्रत केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि पुरुष भी संतान के लिए करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक छठी मैय्या को सूर्य देवता की बहन कहा जाता है। मान्यता है कि छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माई प्रसन्न होती हैं और यह परिवार में सुख शांति धन-धान्य से संपन्न करती है।

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चैती छठ में किस दिन क्या
5 अप्रैल मंगलवार – नहाय-खाय
6 अप्रैल बुधवार – खरना
7 अप्रैल गुरुवार – डूबते सूर्य का अर्घ्य
8 अप्रैल शुक्रवार – उगते सूर्य का अर्घ्य

चैती छठ पूजा में अर्घ्य का समय
सूर्यास्त का समय 7 अप्रैल को शाम को 5:30 बजे होगा यानि गुरुवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं 8 अप्रैल सूर्योदय का समय सुबह 6:40 बजे होगा यानि शुक्रवार को उगते सूर्य को सुबह 6 बजकर 40 मिनट पर अर्घ्य दिया जाएगा

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