शेखपुरा जिला में बाल विकास परियोजना कार्यालय में कार्यरत कुल 15 महिला सुपरवाइजरों को फरवरी महीने से संविदा विस्तार नहीं मिला है। यानि 9 महीने पहले ही इनकी नौकरी खत्म हो गई थी। फिर इन्हें आंगनबाड़ी सेविका और सहायिका बहाली का अधिकार किसने दिया ? ये सवाल मानवाधिकार परिषद ने जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में वाद दायर किया है।
क्या है पूरा मामला
शेखपुरा जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में दायर वाद में सुधांशु कुमार ने कहा कि सेवा विस्तार नहीं मिलने से संविदा पर कार्यरत कर्मियों की सेवा समाप्त मानी जाती है। ऐसे में फिर जो खुद ही सरकारी नौकरी में नहीं हैं उन्हें सेविका और सहायिका का चयन करने का अधिकार नहीं हो सकता है। आवेदक ने सुपरवाइजरों की देखरेख में कराये गये सेविका और सहायिका के चयन को निरस्त कर नये सिरे से चयन करने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जिलास्तर पर इसका निदान नहीं निकाला गया तो वे इस मामले को लेकर हाईकोर्ट का दरबाजा खटखटायेंगे।
सेवा विस्तार नहीं मिला है पर नौकरी से नहीं हटाया गया
वहीं इस मामले में आईसीडीएस के डीपीओ रमेश कुमार ने कहा कि महिला सुपरवाइजरों को सिर्फ सेवा विस्तार नहीं मिला है। इन सुपरवाइजरों को नौकरी से नहीं हटाया गया है।
दो-तीन महिला सुपरवाइजरों पर लटकी कार्रवाई की तलवार
बताया जा रहा है कि सेविका और सहायिका चयन के लिए करायी गयी मैपिंग में सुपरवाइजरों द्वारा व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी की गई थी। इसी गड़बड़ी के पकड़े जाने पर डीएम ने दो से तीन महिला सुपरवाइजरों पर कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था। सरकारी सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार सुपरवाइजरों के काम के परफॉर्मेंस के आधार पर डीएम ने सेवा विस्तार करने को कहा था।