सच गया है कि नियति को जो मंजूर होता है वही होता है. हाथों में मेंहदी लगाकर दुल्हन अपने साजन का इंतजार कर रही थी. लेकिन ऊपर वाले को कुछ और मंजूर था. घोड़ी पर चढ़ बारात लेकर दुल्हन के घर जाने के बदले अर्थी पर उसकी बारात (अंतिम यात्रा) श्मशान पहुंची। शादी के ठीक पहले दूल्हे की मौत मामला …
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