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सीएम की आगवानी के लिए तैयार है नेरूत-परनावां और लाली पहाड़ी

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज अपने गृह जिला नालंदा आएंगे। वे आज नालंदा जिला के नेरुत गांव जाएंगे । उसके बाद सरमेरा जाएंगे । सरमेरा के बाद सीएम नीतीश कुमार लखीसराय जाएंगे ।

अस्थावां के नेरुत को सीेएम का इंतजार

बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर सीेएम नीतीश कुमार दोपहर दो बजे के करीब अस्थावां प्रखंड के नेरुत गांव जाएंगे । मुख्यमंत्री नेरूत गांव में शुरू होने वाले नौ दिवसीय सीताराम महायज्ञ की शुरुआत करेंगे। सीएम के आगमन के लिए नेरुत को दुल्हन की तरह सजाया गया है। सीएम नीतीश कुमार करीब एक घंटे तक नेरुत में रुकेंगे ।सीएम के आगमन को देखते हुए  नेरुत गांव में पिछले कई दिनों से जोर शोर से तैयारियां चल रही थी । सांसद कौशलेंद्र कुमार, स्थानीय विधायक डॉक्टर जितेंद्र कुमार समेत बड़े प्रशासनिक अधिकारी खुद काम की मॉनिटरिंग कर रहे थे । नेरुत में नौ दिवसीय महायज्ञ के साथ साथ रामलीला का मंच भी किया जाएगा और मेला भी लगेगा जिसका सीएम उद्धाटन करेंगे ।

नेरुत से परनावां रवाना होंगे सीएम

अस्थावां के नेरुत गांव में करीब एक घंटे तक ठहरने के बाद सीएम नीतीश कुमार सरमेरा के परनावां गांव जाएंगे । जहां वो बाबा महतो मेला का उद्घाटन करेंगे ।सीएम नीतीश कुमार करीब एक घंटे तक परनावां में भी रुकेंगे

बाबा महतो मेला

सरमेरा  प्रखंड के परनावां गांव में श्री शर्मवास बाबा महतो की मंदिर है । जहां हर साल मेला लगता है ।  बाबा महतो साहब का जन्म ईसा के 6 सौ वर्ष पूर्व हुआ था। बाबा महतो साहब ने मकदुम बाबा से मित्रता कर हिन्दू-मुस्लिम एकता का परिचय दिया था। बाबा महतो साहब  ने धानुक समाज में व्याप्त सामाजिक विसंगतियों को मिटाने पर जोर दिया था । इस मौके पर मेला के अध्यक्ष केदार महतो हैं।

लखीसराय के लाली पहाड़ी जाएंगे सीएम

 सरमेरा के परनावां में बाबा महतो मेला का उद्घाटन करन के बाद सीएम नीतीश कुमार लखीसराय के लाली पहाड़ी के लिए रवाना हो जाएंगे । जहां वो पुरातात्विक खनन का जायजा लेंगे । लाली पहाड़ी की खुदाई  पश्चिम बंगाल के विश्व भारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय  के प्राचीत इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अनिल कुमार के निर्देशन में  हो रहा है । खुदाई के दौरान साढ़े आठ फीट गुणा साढ़े छह फीट तथा इससे मिलते जुलते विभिन्न आकार की चार सेल मिले हैं. जिसे  गर्भगृह से बाहर निकाल कर जहां भगवान को स्नानादि कराया जाता था, वह जगह मिला है. साथ ही गुप्त काल की अनेक वस्तुएं खुदाई के दौरान मिली हैं, जिनमें बर्तन, तांबे की अंगूठी, लोहे की कील आदि मिले हैं. यहां दीवालों की मोटाई साढ़े छह फीट से चार फीट तक मिली हैं. अवशेषों से यह प्रमाणित होता है कि यह गुप्त काल का अवशेष हो सकता है, जो नालंदा के बौद्ध विहार के समकालीन एवं विक्रमशिला से पुराना है।
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