होली में मटन और पुआ न हो तो फिर होली का मजा ही क्या है और जो लोग मटन मु्र्गा नहीं खाते हैं उनके लिए कटहल मुर्गा से कम भी नहीं है । ऐसे में होली के दिन मटन और कटहल की मांग जोरों पर है । दोनों दुकानों के सामने भीड़ लगी है । खास बात ये है कि इस बार होली शनिवार को है इसलिए दुकानों पर भारी भीड़ है ।
1000 रुपए किलो तक मटन
पटना और बिहारशरीफ में कई जगहों पर 900 रुपए किलो मटन बिक रहा है। कई जगहों पर यह हजार रुपए किलो भी मिल रहा है। एक-एक खस्सी 10-12 हजार का है। पटना का छोटा दुकानदार भी 10 से कम खस्सी नहीं लाया है बेचने के लिए। सामान्य दिन में जहां 700 रुपए किलो मटन मिलता है वहीं होली में इसका रेट दो-तीन सौ रुपए तेज है।
कटहल ही है मटन मुर्गा
शाकाहारी लोगों के लिए मटन का विकल्प कटहल है। बहुत सारे लोगों ने मशरुम या पनीर, सब्जियां बनाने के लिए खरीदीं लेकिन ज्यादातर शाकहारी लोगों ने कटहल की खरीदारी की। वैसे जो मटन नहीं खाते उनके लिए कटहल ही एकमात्र ऐसी सब्जी है जो मटन को टक्कर दे सकती है। इसलिए कटहल का मिजाज भी होली में चढ़ा हुआ है।
बाजार में तीन तरह के कटहल
कटहल भी बाजार में तीन तरह दिखे। 70 रुपए किलो, 100 रुपए और 120 रुपए किलो वाले कटहल। तीन तरह के कटहलों में क्या फर्क है ? यह पूछने पर दुकानदार बताते हैं कि कटहली की कीमत कम है। लोकल कटहल की कीमत ज्यादा है। जिस कटहल की कीमत सामान्य दिनों में 80 रुपए है उसकी कीमत होली के अवसर पर 120 रुपए किलो तक रहा। 120 रुपए किलो वाला कटहल एकदम हरा और ताजा दिखता है। बाकी का रंग हरा तो है पर उदास है।
लोग होली के अवसर पर कुछ ज्यादा रुपए लगा कर अच्छा वाला कटहल ही खरीदते दिखे। दुकानदार ने बताया कि झारखंड से जो कटहल आता है वह लोकल कटहल है। ज्यादातर कटहल की दुकानों पर लोग इसे छिलवाकर और कटवाकर खरीदते दिखे। इसे छीलना थोड़ा कठिन होता है इसलिए दुकानदार भी उतने ही पैसे में कटहल छील और काट कर देते हैं। होली में पूड़ी के साथ मटन या कटहल की सब्जी आम है। यह हर साल का व्यंजन है फिर भी इसमें नयापन है। इसके साथ लोगों ने मालपूआ और दहीबाड़ा जरूर बनाया है।