बिहार में ठीक 50 दिनों के बाद एक बार फिर धरती कांपी है। बिहार के कई जिलों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं । रात 8 बजकर 51 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.4 मापी गई है।
कहां है भूकंप का केंद्र
भूकंप का केंद्र सिक्किम की राजधानी गंगटोक से 25 किमी पूर्व और उत्तर पूर्व की तरफ जमीन में 10 किलोमीटर की गहराई पर था। इस वजह से बिहार के पूर्वोत्तर जिलों किशनगंज, अररिया, कटिहार, पूर्णिया आदि जिलों में भूकंप महसूस किया गया है। मध्य बिहार में गंगा के तटवर्ती जिलों मुंगेर, औरंगाबाद और भागलपुर में भी लोगों ने भूकंप महसूस किया है। राजधानी पटना में भी कई लोग भूकंप का हल्का झटका लगने की बात कह रहे हैं। फिलहाल कहीं से जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं आई है। बिहार में इससे पहले 15 फरवरी की रात भूकंप आया था।
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बंगाल-असम में भी लगे झटके
पश्चिम बंगाल समेत असम के कई जिलों में भी भूकंप के झटके लगे हैं। आज सुबह हिमाचल प्रदेश के चंबा और लाहौल स्पीति जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। चंबा में रात करीब 2:01 बजे भूकंप आया। इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.4 रही और इसका केंद्र जमीन के अंदर 14 किलोमीटर गहराई पर था। लाहौल स्पीति में रात करीब 3:39 बजे 2.8 की तीव्रता का भूकंप आया। इसका केंद्र जमीन के अंदर 5 किलोमीटर गहराई पर था।
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50 दिन पहले लगे थे 3.5 तीव्रता के हल्के झटके
बीते 15 फरवरी की रात 9:27 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। कुछ सेकंड तक कंपन महसूस हुआ। दहशत में लोग घरों से बाहर निकल आए थे। राहत की बात रही कि भूकंप से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं आई। नेशनल सेंटर पर फॉर सीस्मोलॉजी ने भूकंप का केंद्र नालंदा से 20 किमी दूर बताया था।
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भूकंप के जोन 5 में आता है बिहार
भारत को भूकंप के खतरे के आधार पर जोन-2, 3, 4 और 5 में बांटा गया है। जोन-2 सबसे कम खतरे वाला और जोन-5 सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन माना जाता है। दक्षिण भारत के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं। मध्य भारत भी कम खतरे वाले जोन-3 में आता है। वहीं, जोन-4 में जम्मू और कश्मीर का कुछ हिस्सा, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तर बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र शामिल हैं। जोन-5 में जम्मू-कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारत, कच्छ का रण और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आते हैं।
कैसे मापते हैं भूकंप की तीव्रता
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। भूकंप का केंद्र कम गहराई पर हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।