नालंदा,शेखपुरा, नवादा और पटना में भूकंप(EarthQuake) के झटके, घरों से बाहर निकले लोग

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पटना में सोमवार की रात करीब 9:23:47 में भूकंप का झटका महसूस किया गया है। मौसम विभाग के मुताबिक रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 3.5 मापी गई है। भूकंप का केंद्र नालंदा से 20 किमी उत्तर-पश्चिम था। भूकंप का डेप्थ 5 किमी बताया गया। राजधानी में भूकंप के झटके के बाद कई मोहल्ले में लोग घरों से बाहर निकल गए। उन्होंने बताया कि कुछ ही सेकेंड के लिए झटका महसूस हुआ। इसके बाद बाहर आ गए। लोग एक-दूसरे से फोन कर पूछ रहे हैं। मौसम विभाग के मुताबिक रिक्टर पैमाने पर 4.3 तीव्रता मापी गई गई है। पटना के अलावा नालंदा, गया, नवादा, शेखपुरा, औरंगाबाद, सासाराम जिलों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। हालांकि, कई लोगों को भूकंप के बारे में पता ही नहीं चल सका।

घरों के बाहर निकले लोग

पटना के बोरिंग रोड, आशियाना नगर, पटेल नगर में लोग अभी भी घरों से बाहर निकले हुए हैं। दुकानों के बाहर भी भीड़ लगी हुई है। घरों में कई लोग भोजन करने की तैयारी कर रहे थे। झटका महसूस होते ही बाहर निकल गए। इसके बाद परिजनों को फोन करने लगे, एक-दूसरे का हाल-चाल जानने में लग गए। बोरिंग रोड में रहनेवाली नेहा ने बताया कि रसोई में भोजन बना रही थी, तभी बर्तन गिरने की आवाज आने लगी। फिर लगा कि भूकंप का झटका है। इसके बाद घर के सभी लोगों को मकान के बाहर ले आई।

लोगों को आ गई 2015 की याद
पटना में आज आए भूकंप ने लोगों को वर्ष 2015 की याद दिला दी। तब 25 अप्रैल के दिन बिहार में भूकंप के कई झटके महसूस किए गए थे। तब भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5। 3 मानी मापी गई थी। उस वक़्त भूकंप में उत्तरी बिहार में विशेष तौर पर लोग कई दिनों तक आशंकित रहे। नेपाल से सटे सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा आदि जिलों में लोगों को कई रातों तक घर के बाहर सोना पड़ा था। हालांकि तब सबसे ज्यादा तबाही नेपाल में हुई थी। वहां 8000 से ज्यादा मौतें और 2000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

ऐसे लगाते हैं भूकंप की तीव्रता का अंदाजा
भूकंप की तीव्रता का अंदाजा उसके केंद्र (एपीसेंटर) से निकलने वाली ऊर्जा की तरंगों से लगाया जाता है। सैकड़ों किलोमीटर तक फैली इस लहर से कंपन होता है। धरती में दरारें तक पड़ जाती हैं। भूकंप का केंद्र कम गहराई पर हो तो इससे बाहर निकलने वाली ऊर्जा सतह के काफी करीब होती है, जिससे बड़ी तबाही होती है।

भूकंप जोन – 5 में आता है बिहार
भारत को भूकंप के खतरे के आधार पर जोन-2, 3, 4 और 5 में बांटा गया है। जोन-2 सबसे कम खतरे वाला और जोन-5 सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन माना जाता है। दक्षिण भारत के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं। मध्य भारत भी कम खतरे वाले जोन-3 में आता है। वहीं, जोन-4 में जम्मू और कश्मीर का कुछ हिस्सा, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, उत्तर बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र शामिल हैं। जोन-5 में जम्मू-कश्मीर, पश्चिमी और मध्य हिमालय, उत्तर और मध्य बिहार, उत्तर-पूर्व भारत, कच्छ का रण और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आते हैं।

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