नालंदा को मिला बड़ा तोहफा- खुलेगा पूर्वी भारत का सबसे बड़ा फिशरीज रिसर्च सेंटर

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नालंदावासियों के लिए खुशखबरी है. नालंदा जिला को फिशरीज रिसर्च सेंटर का तोहफा मिला है. ये फिशरीज रिसर्च सेंटर पूर्वोत्तर भारत यानि बिहार, बंगाल,असम, मिजोरम,मेघालय,मणिपुर,अरुणाचल,नागालैंड, सिक्किम और उड़ीसा के लिए होगा.

सरमेरा में बनेगा फिशरीज रिसर्च सेंटर
पूर्वोत्तर भारत के लिए नालंदा जिला सरमेरा में फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट खोला जाएगा। ये फिशरीज सेंटर 25 एकड़ में फैला होगा. इसके लिए नालंदा के जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने सरमेरा के सीओ को जमीन चिह्नित करने का आदेश दे दिया है .

मछली उत्पादन में वृद्धि होगी
नालंदा के डीएम योगेंद्र सिंह ने कहा कि नालंदा में फिशरीज सेंटर स्थापित होने के बाद इस क्षेत्र में मछली उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी. जिसका सीधा लाभ मछली पालन से जुड़े किसानों को होगा. जिलाधिकारी ने कहा कि इससे एक ओर जहां किसानों की आय बढ़ेगी. तो वहीं, दूसरी ओर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

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सप्लाई कम मांग ज्यादा
एक रिसर्च के मुताबिक बिहार में मछली उत्पादन में लगातार इजाफा हो रहा है. लेकिन इसके बावजूद में बिहार में मछली की जितनी मांग है उतनी सप्लाई नहीं है. सरकारी आंकड़ें के मुताबिक में बिहार में सालाना 5.10 लाख टन मछली का उत्पादन हो रहा है. जबकि मछली की मांग 6 लाख टन सालाना है.

बिहार में रेहू कतला का मांग सबसे ज्यादा
बिहार में सबसे अधिक मांग रेहू और कतला मछली की है. राज्य में 900 मिलियन मछली बीज की मांग है, जबकि अपना उत्पादन 793 मिलियन है. दो तिहाई मांग की आपूर्ति राज्य से हो रही है. एक फिंगर जीरा की कीमत एक रुपया है, जबकि एडवांस फिंगर की कीमत ढाई रुपये हैं. एक हेक्टेयर में पांच हजार जीरा की जरूरत होती है. छह माह में एक मछली का बीज एक किलो का हो जाता है.

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बिहार में नए हैचरी सेंटर का निर्माण
बिहार में नए जल स्रोतों के साथ-साथ हैचरी का भी निर्माण हो रहा है. ट्रेनिंग की वजह से मछली को पूरक आहार देने का चलन भी शुरू हुआ. राज्य में 140 हैचरी का निर्माण हो चुका है, इसमें 105 कार्यरत हैं. मत्स्य पालकों को मीठापुर, डीएनएस, ढोली और आईसीएआर में ट्रेनिंग दी जाती है. जबकि, राज्य के बाहर काकीनाडा, होशंगाबाद आदि में ट्रेनिंग दी जाती है.

आपको बता दें कि आजादी से पहले ही भारत में केंद्रीय मरीन फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट (CMFRI)की स्थापना की गई थी. इसके बाद में साल 1967 में इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)के परिवार में शामिल हो गया. इसका मुख्यालय केरल के कोच्चि में स्थित है. वर्तमान में संस्थान में मंडपम, विशाखापत्तनम और वेरावल में 3 क्षेत्रीय केंद्र हैं और मुंबई, चेन्नई, कालीकट, कारवार, तूतीकोरिन, विझिनजाम, मंगलौर और दीघा में 8 अनुसंधान केंद्र हैं।

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