लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा दांव खेला है.. नीतीश कुमार ने बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में आबादी के अनुपात में आरक्षण दिए जाने का प्रस्ताव रखा है। जिसके मुताबिक आरक्षण की लिमिट 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 फीसदी तक करने की बात कही है।
मुख्यमंत्री ने क्या कहा
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में पिछड़ा वर्ग को आबादी के अनुपात में रिजर्वेशन मिलना चाहिए। इसलिए पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की 50 फीसदी लिमिट को खत्म किया जाए और कोटा की सीमा 75 फीसदी तक हो।
किस वर्ग का कितना आरक्षण
नीतीश कुमार के प्रस्ताव के मुताबिक, बिहार में अनुसूचित जाति (SC) के मौजूदा आरक्षण 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत किया जाए। तो वहीं, अनुसूचित जनजाति(ST) ते आरक्षण को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 फीसदी किया जाएगा। तो वहीं अत्यंत पिछड़ा वर्ग (MBC) और पिछड़ा वर्ग (BC) के मौजूदा आरक्षण को 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 43 प्रतिशत किया जाए.. हालांकि ओबीसी महिलाओं के तीन प्रतिशत आरक्षण को पिछड़ा वर्ग के ही आरक्षण में मर्ज करने का प्रस्ताव है. जबकि आर्थिक रुप से पिछड़े को 10 प्रतिशत का आरक्षण मिलता रहेगा। यानि आरक्षण का आंकड़ा बढ़कर 75 प्रतिशत हो जाएगा
आरक्षण के प्रस्ताव पर नज़र
MBC+BC- 43%
SC – 20%
ST -02%
EWS -10%
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TOTAL= 75%
मतलब अगर ये प्रस्ताव विधानसभा में पारित हो जाता है तो बिहार में आरक्षण की सीमा बढ़कर 75 प्रतिशत हो जाएगी। यानि 25 प्रतिशत सीटें ही अनारक्षित रहेगी.. इतना ही नहीं, बिहार में 35 प्रतिशत महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण पहले से लागू है.. इससे अनारक्षित वर्ग के पुरुषों को और कम जगह मिलेगी ।
इससे पहले, विधानसभा में नीतीश कुमार ने आर्थिक सर्वे रिपोर्ट पेश किया। जिसके मुताबिक राज्य में 34 फीसदी लोगों की मंथली कमाई 6000 रुपए से भी कम हैं। जबकि अनुसूचित जाति के 42 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक ,बिहार में सवर्णों में सबसे ज्यादा गरीब भूमिहार हैं, जबकि पिछड़ा वर्ग में यादव जाति में 34 प्रतिशत लोग गरीब हैं।