चीनी सैनिकों से हिंसक झड़प में शहीद सुनील कुमार का गुरुवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके 10 साल के बेटे आयुष ने मुखाग्नि दी। इससे पहले उनके पैतृक गांव बिहटा के तारानगर से मनेर स्थित गंगा घाट तक अंतिम यात्रा निकली। इसमें हजारों लोग शामिल हुए। इस दौरान लोगों ने भारत माता की जय और वीर सुनील अमर रहे के नारे लगाए।
शहीद की पत्नी की मांग
शहीद की पत्नी रीति कुमारी ने कहा कि सरकार चीन से मेरे पति की शहादत का बदला ले। लोग चीन के सामानों का बहिष्कार करें। चीन सीमा पर हमारे सैनिकों की जान ले रहा है और पैसे कमाने के लिए यहां सामान बेच रहा है। भारत में चीन का कोई प्रोडक्ट नहीं बिकना चाहिए।
नारों से गूंजा आसमान
मनेर स्थित गंगा घाट के लिए करीब 15 किलोमीटर की अंतिम यात्रा में शहीद के पार्थिव शरीर के साथ हजारों की संख्या में लोग चल रहे थे। रास्ते में लोगों ने पार्थिव शरीर पर फूल बरसाए। इस दौरान लोगों ने शहीद सुनील भैया अमर रहें और हिन्दुस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। लोगों ने चीनी सामानों के बहिष्कार का नारा भी बुलंद किया।
शहीद के अंतिम दर्शन के लिए जुटे लोग
पार्थिव शरीर को सेना के वाहन पर रखा गया था। बिहार रेजिमेंट के जवान और अधिकारी बड़ी संख्या में अंतिम यात्रा में शामिल हुए। सेना के जवानों की मौजूदगी में गंगा के हल्दी छपरा घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। उस वक्त राष्ट्रध्वज लेकर लोग भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। पार्थिव शरीर गंगा घाट पर लाया गया, तब बारिश शुरू हो गई। बारिश के बाद भी लोग टस से मस नहीं हुए।
सुनील के तीन बच्चे
सुनील के पिता का नाम बासुदेव साव और मां का नाम रुक्मिणी देवी है। उनकी 2002 में नौकरी लगी थी। 2004 में अरवल जिले के सकड़ी गांव की रीति कुमारी से शादी हुई थी। सुनील के तीन बच्चे हैं। 10 साल का आयुष, 5 साल का विराट और एक बेटी सोनाली है। इसकी उम्र 12 वर्ष साल है।