कोरोना संकट के दौरान नालंदा जिला में शव को दफनाने को लेकर नई समस्या खड़ी हो गई है. हालात ये है कि कोरोना से मरने वाले शव को दफनाने के लिए जगह नहीं मिल रही है. इसे लेकर बिहार थाना के थानाध्यक्ष दीपक कुमार का दर्द भी छलका है.
इंजीनियर को दफनाने की जगह नहीं मिली
विद्युत विभाग में प्रोजेक्ट इंजीनियर की कोरोना से मौत हो गई. उनके शव को दफनाने के लिए लोग भटकते रहे. सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के कार्यकर्ता शव के साथ बड़ी दरगाह पहुंचे. कब्र खोदे जाने के बाद स्थानीय लोगों का विरोध शुरू हो गया. विरोध इतना जबर्दस्त था कि शव को लेकर आये एंबुलेंस को वापस जाना पड़ा. इसकी सूचना बिहार थाना थानाध्यक्ष दीपक कुमार तथा डीएसपी इमरान परवेज को दी.
थानाध्यक्ष दीपक कुमार की मांग
मामले का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि बिहार थाना के थानाध्यक्ष ने भी माना है कि कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार में काफी कठनाई हो रही है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि समाज मे सहयोग की काफी कमी देखी जा रही है। मेरा विचार है कि सरकारी जमीन का चयन कर बापू श्मशान-सह-कब्रिस्तान बनाया जाय, जहां सभी सम्प्रदाय के लोगो का अंतिम संस्कार हो।
दो दिन पहले हुई थी प्रोजेक्ट मैनेजर की मौत
बिजली विभाग के प्रोजेक्ट मैनेजर इमरान विश्वास की दो दिन पहले कोरोना से पावापुरी के विम्स अस्पताल में निधन हो गया था. 36 साल के इमरान विश्वास कोलकाता के रहने वाले थे और करीब दो साल से नालंदा में काम कर रहे थे।