
नालंदा जिले में 15 अप्रैल से नीरा का उत्पादन और उसकी बिक्री का काम शुरू हो जाएगा। पिछले साल के मुकाबले इस बार गुड़, चीनी, आइसक्रीम, मिश्री, पेड़ा, जगरी और अन्य सामानों का अधिक उत्पादन किया जाएगा। इसके लिए अब तक जिले के 4500 उत्पादकों ने लाइसेंस का नवीकरण कराया है। उत्पादकों की बेहतरी के लिए बीमा योजना भी शुरू की गई है। इस सिलसिले में डीएम डॉ. त्यागराजन ने अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि पिछले साल पूरे बिहार में कुल सात लाख लीटर नीरा की बिक्री हुई थी, उसमें साढ़े पांच लाख लीटर अकेले नालंदा में बिक्री हुई थी। अधिकारी और उत्पादकों को उसी उत्साह के साथ पिछले वर्ष से बेहतर तरीके से काम करने का आदेश दिया गया है। जब तक नीरा का उत्पादन शुरू नहीं होता है तब तक उत्पादकों की सघन ट्रेनिंग पर सबसे अधिक जोर दिया जाए। उन्हें उत्पादन से जुड़े हर पहलू की जानकारी दी जाएगी। नीरा उत्पादन के लिए उपयोग में आने वाली वस्तुओं और उपकरणों की सफाई, उसमें चूना से कोटिंग किए जाने की प्रक्रिया और ट्रेनिंग में जोर दिया जाएगा।
अबतक 4500 उत्पादकों ने लाइसेंस नवीकरण कराया है। बचे हुए 1500 उत्पादकों का लाइसेंस रिन्यू कराने की जिम्मेवारी जीविका को दी गई है। उत्पाद विभाग के अधिकारी से कहा गया कि जैसे ही आवेदन प्राप्त हो, नीरा उत्पादन का लाइसेंस निर्गत कर दिया जाए। यह भी बताया गया कि प्रशिक्षण के दौरान उत्पादकों को यह बताया जाए कि नीरा में पानी ना मिलाएं और कोल्ड चेन मेंटेन करने पर सबसे अधिक ध्यान दें। जीविका से कहा गया कि इसके लिए आईस पैक की व्यवस्था की जाए। जीविका के डीपीएम ने बताया कि जिले में तीन जगह बनने वाले चिलिंग प्वॉइंट से काफी मदद मिलेगी। जल्द ही चिलिंग सेंटर बन कर तैयार हो जाएगा।
डीएम ने नीरा उत्पादक समूह के नजदीक ही कलेक्शन प्वाइंट बनाने को कहा है। कलेक्शन प्वाइंट में नीरा की गुणवत्ता जांचने के सभी उपकरण व वजन करने की मशीन भी उपलब्ध रहेगी। नीरा के लिए कलेक्शन रूट निर्धारण का कार्य भी व्यवहारिकता को ध्यान में रखकर करने को कहा गया। बैठक में कॉमफेड के प्रबंध निदेशक, जिला उद्योग केंद्र के जनरल मैनेजर, एक्साइज इंस्पेक्टर, बीपीएम जीविका उमाशंकर भगत, सभी मास्टर ट्रेनर व अन्य भी थे।