बिहार में चौकीदारों को पटना हाईकोर्ट से सबसे बड़ा झटका लगा है । पटना हाईकोर्ट ने वर्षों पुराना बिहार सरकार के उस नियम को रद्द कर दिया है.. जिसके तहत वीआरएस लेने वाले चौकीदार के वारिस को नौकरी मिलती थी.. यानि अब स्वैच्छिक रुप से पदत्याग( VRS)करने वाले चौकीदार के उत्तराधिकारी को नौकरी नहीं मिलेगी.. इस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दिया है ।
क्या था नियम ?
बिहार में अब तक नियम था कि अगर कोई चौकीदार 20 साल की सेवाअवधि पूरा कर लेता है और अपनी मर्जी से रिटायरमेंट से एक महीने पहले वीआरएस ले लेता था तो उसके बेटे या बेटी को चौकीदार की नौकरी मिल जाती थी।
क्या करना होता था ?
पुराने नियम के मुताबिक, अगर कोई चौकीदार जो 55 साल या उससे अधिक उम्र का है और वो अपने किसी वारिस का नाम लिख कर डीएम को आवेदन देता था। तो उसके आधार पर डीएम द्वारा उसके चयनित उत्तराधिकारी को चौकीदार के पद पर बहाल कर दिया जाता था।
अब नहीं होगी बहाली
चौकीदार के वारिस के बहाली वाले नियम को पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। यानि अब अगर कोई चौकीदार जो 55 साल या उससे ज्यादा उम्र का है और डीएम को अपने वारिस की नियुक्ति के लिए आवेदन करता है तो उसके वारिस यानि बेटा या बेटी को नौकरी नहीं मिलेगी ।
कब से लागू होगा नियम
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के उस प्रावधान को निरस्त कर दिया है । जिसके तहत सेवानिवृत्त होने वाले चौकीदार की जगह उसके उत्तराधिकारी को बहाल कर दिया जाता था। पटना हाईकोर्ट का ये आदेश अब बिहार के सभी 38 जिलों में लागू हो गया है । और फरवरी 2023 के बाद सेवानिवृत्त हुए किसी भी चौकीदार के उत्तराधिकारी को यह लाभ नहीं मिल सकेगा।
क्या था मामला
पटना हाईकोर्ट के दो जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया है। बेंच में जस्टिस पीबी बनर्जी और अरुण कुमार झा शामिल थे । ये याचिका भागलपुर के एकचारी के देवमुनि पासवान ने दायर की थी । अदालत ने बिहार सरकार के आदेश को मौलिक अधिकार का उल्लंघन माना है। कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार का ये प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है। कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि आजादी के 75 साल बाद भी संविधान का उल्लंघन किया जा रहा है। चौकीदार का पद पब्लिक का पोस्ट है। इस पद पर बहाली की प्रक्रिया को संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के अनुरूप होना चाहिए।