सहारा में पैसों को निवेश करने वाले लोग मायूस हैं । उन्हें हमेशा डर सताये रहता है कि उनका पैसा कहीं डूब ना जाए। ऐसे में निवेशकों को पटना हाईकोर्ट का सहारा मिला है । हाईकोर्ट ने इस मामले में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) से स्पष्टीकरण मांगा है।
क्या है मामला
पटना हाईकोर्ट ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) से स्पष्टीकरण मांगा कि सहारा समूह की कंपनियों की ओर से जमा किया गया 24,000 करोड़ रुपये का बड़ा धन निष्क्रिय क्यों पड़ा है? और उसे पुनर्भुगतान करने के लिए निवेशकों में वितरित क्यों नहीं किया गया ? न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकल पीठ ने प्रेम कुमार सैनी ने सेबी को 22 मार्च या उससे पहले स्पष्टीकरण दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी
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सहारा के वकील की दलील
वहीं, सहारा कंपनी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील उमेश प्रसाद सिंह ने हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया। एडवोकेट उमेश सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सहारा समूह के 23,191 करोड़ रुपये सेबी के पास जमा करा दिए गए हैं। कोर्ट में उमेश सिंह ने बताया कि ‘ऐसी जमाओं पर ब्याज शुल्क के साथ, यह राशि 24,000 करोड़ रुपये से अधिक है। फिर भी, सेबी की तरफ से सहारा के निवेशकों को बड़े हिस्से का भुगतान नहीं किया गया है, जो कि सहारा फंड का केवल एक ट्रस्टी है। न तो कानूनी बाधा है और न ही सर्वोच्च न्यायालय का कोई आदेश जो सेबी को सहारा निवेशकों को पुनर्भुगतान करने के लिए धन का उपयोग करने से रोकता है।’
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SEBI के वकील ने दी कोर्ट में जानकारी
जबकि सेबी के वकील प्रदीप कुमार ने कहा कि सहारा के निवेशकों को करीब 128 करोड़ रुपये का भुगतान पहले ही किया जा चुका है। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि उनके मुवक्किल ने धन के उपयोग के लिए निर्देश देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया है। अदालत ने सेबी से स्पष्ट रूप से कहा कि या तो इस तरह के फंड के इस्तेमाल पर रोक लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के किसी आदेश को दिखाएं या सहारा निवेशकों को इसका पुनर्भुगतान सुनिश्चित करें। अपने पिछले आदेशों में, पटना हाईकोर्ट ने देखा था कि वे निवेशक जिनकी जमा राशि परिपक्व हो गई है, लेकिन उन्हें सहारा समूह की ओर से पैसा चुकाया नहीं गया है, वे अपने दावे के कागजात के साथ अपना आवेदन दाखिल कर सकते हैं। इसको लेकर मंगलवार तक पुनर्भुगतान के लिए कम से कम 208 आवेदन दायर किए जा चुके थे।