पावापुरी के वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए बुरी खबर है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने स्वास्थ्य विभाग को चिट्ठी लिखकर कहा है कि संसाधनों की कमी की वजह से पावापुरी मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की डिग्री को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा है कि इस बारे में वो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से बात करेंगे। उधर, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का कहना है कि अगले सत्र के पहले मान्यता दे देगी. केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि मैंने इस मामले को देखा है. एमसीआई का कहना है कि एमसीआई ने जो भी कमियां बतायी हैं, उन्हें दूर किया जायेगा और इस दिशा में प्रयास शुरू हो गया है आपको बता दें कि पावापुरी मेडिकल कॉलेज की स्थापना 2007-08 में हुई थी। और करीब 10 साल बीत के जाने के बावजूद पावापुरी मेडिकल कॉलेज संसाधनों की कमी का रोना रो रहा है । यहां पर बता दें कि इस साल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम पावापुरी मेडिकल कॉलेज का दौरा किया था वहां के हालात का जायजा लिया था । जिसके बाद रिपोर्ट सौंपी गई थी जिसमें ये कमियां बताई गई है ।
एमसीआई ने क्या-क्या कमियां बताई है जानिए
कॉलेज में फैकेल्टी की 43.39% कमी
ब्लड बैंक, सिटी स्कैन का अभाव
247 की जगह पर 73 ही नर्सिंग स्टाफ
179 की जगह पर सिर्फ 32 पैरामेडिकल और नॉन टीचिंग स्टाफ
ब्यॉज या गर्ल्स कॉमन रूम में ट्वायलेट अटैच नहीं है
बेड की ऑक्यूपेंसी 8.08% थी यानी निरीक्षण के दिन सुबह 10 बजे तक बेड पर इतने ही मरीज पाये गये.
ओपीडी में अटेंडेंस 800 की जगह 737 था
7 की जगह सिर्फ एक ओटी काम कर रहा था औऱ उसमें भी केवल दो टेबल ही थे
लाइब्रेरी में सात हजार की जगह 3585 किताबें ही उपलब्ध
नॉर्मल डिलिवरी भी नहीं हुई थी
आईसीयू काम नहीं कर रहा था
7 लैबोरेटरी की जगह पांच ही काम रहे थे