बिहार की सियासत में भूचाल, उपेंद्र कुशवाहा ने फोड़ा चिट्ठी बम.. जानिए, चिट्ठी में क्या है ?

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बिहार की सियासत में जल्द ही एक बार फिर बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिया है। जेडीयू के पार्लियामेंट्री बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखा है ।

कुशवाहा ने बुलाई मीटिंग
उपेंद्र कुशवाहा ने 19 और 20 फरवरी को पटना में बड़ी बैठक बुलाई है। जिसमें जेडीयू के बड़े नेताओं, अपनी पुरानी पार्टी RLSP के साथियों और महात्मा फुले समता परिषद के प्रमुख लीडर्स को बुलाया है. ये बैठक पटना में सिन्हा लाइब्रेरी में बुलाई गई है ।

क्या जेडीयू टूटने वाली है
उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू कार्यकर्ताओं के नाम एक पत्र लिखा है. चिट्ठी में जेडीयू के बिखरने को लेकर चिंता जताई है. चिट्ठी में उपेंद्र का दर्द भी छलका है। ऐसे में सवाल उठने लगा है कि नीतीश कुमार या फिर जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह यादव, प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा से इतर उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी की दो दिवसीय बैठक बुलाई है? क्या उपेंद्र कुशवाहा जनता दल यूनाइटेड को तोड़ने की फिराक में हैं?

चिट्ठी में क्या है ?
उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि हमारी पार्टी अपने आंतरिक कारणों से रोज कमजोर हो रही है. महागठबंधन बनने के बाद विधानसभा उपचुनाव के परिणाम आने के समय से ही मैं नीतीश कुमार को पार्टी की स्थिति से लगातार अवगत कराते आ रहा हूं. मैं कोशिश कर रहा हूं कि दिन-प्रतिदिन जेडीयू जिसका अस्तित्व खोता जा रहा है उसको बचाया जा सके. तमाम कोशिशों के बावजूद भी नीतीश कुमार ने मेरी बातों को अनदेखा किया. मुख्यमंत्री जी की ओर से मेरी बातों की न सिर्फ अनदेखी की जा रही है बल्कि उसकी व्याख्या भी गलत तरीके से की जा रही है. आरजेडी के साथ “एक खास डील” और जेडीयू का आरजेडी के साथ विलय की चर्चाओं ने पार्टी के निष्ठावान नेताओं और कार्यकर्ताओं को झकझोर कर रख दिया है. ऐसी स्थिति में हम सबके सामने राजनीतिक शून्यता की स्थिति बनती जा रही है. ऐसी परिस्थिति में पार्टी समय आ गया है कि हम इस मुद्दे पर विमर्श करें.

कुशवाहा का बागी तेवर
आपको बता दें कि नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा के बीच ऑल इज वेल नहीं है । उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का जेडीयू में विलय हो गया है। लेकिन चुनाव आयोग ने औपचारिक तौर पर इस विलय को मंजूरी नहीं दी है । ऐसे में कुशवाहा एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी RLSP को खड़ा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें पीछे से बीजेपी का सपोर्ट है । वहीं, नीतीश कुमार का कहना है कि जिसे जाना है वो पार्टी छोड़कर जाने के लिए स्वतंत्र है। तो इसके जवाब में उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि पार्टी में उनकी हिस्सेदारी है और अपना हिस्सा लिए बिना कहीं बाहर नहीं जा सकते हैं ।

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