सातवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद राजगीर पहुंचे नीतीश कुमार.. जानिए बड़ी वजह

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नीतीश कुमार ने सातवीं बार बिहार की गद्दी संभाली है. सातवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने पटना से बाहर अगर पहली बार गए तो है राजगीर . मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को राजगीर गए। वहां बन रहे नए रोपवे केबिन, रैम्प एवं यात्रियों के पहुंचने के रास्ते की भी जानकारी ली।

फरवरी तक तैयार हो जाएगा नया रोपवे
पर्यटकों के लिए खुशखबरी है। राज्य का पहला 8 सीटर रोपवे राजगीर में फरवरी से चालू हो जाएगा। ये रोपवे पुराने रोपवे के पास ही है. ये बिहार राज्य का पहला अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस 8 चेयर रोपवे है, जिसके लिए ऑस्ट्रेलिया से सामान मंगवाया गया है। पर्यटकों को अब पहले की तरह बैठने की जरुरत नहीं होगी। एंट्री और एग्जिट के समय ऑटोमैटिक डोर खुद खुलेगा और बंद होगा। अपर और लोअर टर्मिनल स्टेशन पर पर्यटकों के सवार होने और बैठने के क्रम में रुका रहेगा जबकि दूसरा केबिन पर्यटकों को सैर कराएगा। रोपवे की कुल लंबाई 1700 मीटर है। रोपवे 2.5 मीटर प्रति सेकेंड चलेगी।

1969 में बना था राजगीर में पहला रोपवे
बिहार का सबसे पहला रोपवे 1969 में राजगीर के रत्नगिरी पर्वत पर लगाई गई थी। जापान सरकार की मदद से 1969 में पहले रोपवे का निर्माण किया गया था। इसकी लम्बाई लगभग 2200 फीट है और इसमें 11 टावर और 101 कुर्सियां हैं। ये पूर्णतया बिजली से संचालित है।

वेणु वन का किया निरीक्षण
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सबसे पहले वेणु वन पहुंचे. जहां उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. मुख्यमंत्री ने वेणु वन का निरीक्षण किया और इसके विस्तारीकरण कार्य का भी जायजा लिया। साथ ही सर्किट हाउस के पास वाली जमीन को भी कैम्पस में मिलाने का आदेश दिया. वेणु वन में बच्चों को खेलने-कूदने से लेकर अन्य तरह की मनोरंजन की पूरी व्यवस्था होगी।

वेणु वन में 2600 वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध आए थे
उन्होंने कहा कि वेणु वन एक ऐतिहासिक जगह है। यहां 2600 वर्ष पूर्व भगवान बुद्ध आये थे। यहां वह जिस प्रकार भ्रमण करते थे, उसको आधार बनाकर जितना संभव हो सका है, उसका विस्तार किया गया है। वेणु वन में ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आकर आनंद उठा सकेंगे। भ्रमण के दौरान मुख्यमंत्री ने वेणु वन के तालाब में मछली एवं बत्तखों को दाना खिलाया। कहा कि जू सफारी का कार्य भी तेजी से चल रहा है और इसका निर्माण पूर्ण होने से पर्यटक इसका लाभ उठा सकेंगे।

घोड़ा कटोरा का भी निरीक्षण किया
मुख्यमंत्री ने घोड़ा कटोरा कटोरा पार्क और घोड़ा कटोरा झील का भी निरीक्षण किया। वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि जंगल के कचरे अथवा अवशेष को नहीं जलायें, बल्कि इसे एक जगह किसी गड्ढे में रख दें। ताकि वो खाद के रूप में परिणत हो सके। अवशेष को जलाने से पर्यावरण को नुकसान होता है।

सबसे पहले राजगीर को क्यों चुना
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सातवीं बार सत्ता संभालने के बाद सबसे पहले राजगीर पहुंचे. क्योंकि राजगृह को पुरानी पहचान दिलाना उनका सपना है. मुख्यमंत्री चाहते हैं कि जितना मगध साम्राज्य के दौरान राजगीर की महत्ता थी. वो महत्ता एक बार फिर राजगीर को मिले.

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