फर्जीवाड़े पर बवाल, गुस्साए लोगों ने लगाई आग

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बिहारशरीफ के रांची रोड स्थित टैक्सी स्टैंड के पास युवकों का गुस्सा फूट पड़ा और जमकर तोड़फोड़ की। जबतक लोग कुछ समझ पाते, तब तक युवकों ने फर्नीचर और ऑफिस में रखे कागजों में आग लगा दी । रांची  को पूरी  तरह जाम कर  दिया । कई घंटे तक बिहारशरीफ की लाइफ लाइन  कही वाली इस सड़क पर हंगामा होता रहा लोगों की सूचना पाकर पुलिस भी पहुंची लेकिन उन्हें भी युवाओं के गुस्सा का शिकार होना पड़ा । हालांकि बाद में पुलिस वालों ने बल प्रयोग कर हंगामा कर रहे युवाओं को खदेड़ दिया और 5 को हिरासत में भी ले लिया ।

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दरअसल, विजन डाटा सर्विसेज लिमिटेड नाम की एक फर्जी कंपनी करीब तीन हजार युवाओं को नौकरी देने के नाम पर चूना लगाकर भाग गयी है। प्रत्येक युवा से ढाई हजार रुपये वसूले गये हैं। हंगामा कर रहे लोगों का कहना था कि तीन हजार युवाओं से करीब 75 लाख रुपये की उगाही की आशंका है। उन्हें घर बैठे नौकरी करने और रुपये कमाने का लालच दिया गया था। ये इस कंपनी का दफ्तर रांची रोड में एलआईसी ऑफिस के दूसरे तरफ एक मकान में चल रहा था । शुक्रवार को दस बजे के बाद युवकों की भीड़ वहां जुटनी शुरू हो गयी थी। देखते ही देखते सैकड़ों लड़के-लड़कियां वहां जमा हो गये। पहले तो उन्होंने दफ्तर के गेट का ताला तोड़ दिया। फिर अंदर घुस गये।ऑफिस को किया तहस-नहस: गुस्साये युवकों ने ऑफिस के फर्नीचर को पूरी तरह से तोड़ ताला। सारे कागजात फाड़ दिये। कागज को लाकर सड़क पर रख दिया। उसमें आग लगाकर कई फर्नीचर भी उसमें झोंक दिये। कुछ ही मिनटों में युवकों ने ऑफिस को तहस-नहस कर दिया। हालांकि ऑफिस में सामान के नाम पर सिर्फ कुछ फर्नीचर और कागज ही थे। आशंका जतायी जा रही है कि पहले ही ऑफिस से सारा कीमती सामान हटा लिया गया था। सड़क को किया जाम: आगजनी कर युवकों ने हंगामा करना शुरू कर दिया। रांची रोड को जाम कर गाड़ियों की आवाजाही रोक दी। हंगामे के कारण वहां पर कई दुकानें बंद हो गयीं। सूचना पाकर तीन थानों की पुलिस भी वहां पहुंच गई ।पुलिस अधिकारियों ने पहले आक्रोशित युवकों को समझाने का प्रयास किया। हालांकि युवक कुछ सुनने को तैयार नहीं थे और पुलिस से भी उलझने लगे। स्थिति बिगड़ते देखकर पुलिस ने बल प्रयोग कर युवकों को खदेड़ दिया। एक दो युवकों को डंडे भी खाने पड़े। पुलिस ने पांच युवकों को हिरासत में ले लिया है।

दीवार पर चिपकाया था इश्तेहार: तीन-चार महीने पहले से शहर की दीवारों पर कंपनी के पम्फलेट चिपके दिख रहे थे। इसमें घर बैठे युवक और युवतियों को नौकरी करने का लालच दिया गया था। पोस्टर में सात से आठ हजार रुपये महीना पगार भी लिखी थी। इस कंपनी के डायरेक्टर के रूप में सौरभ कुमार का नाम सामने आ रहा है। सिक्यूरिटी मनी के रूप में जमा कराये रुपए:-युवकों ने बताया कि इश्तेहार देखकर जब ऑफिस पहुंचे तो वहां की व्यवस्था देखकर दंग रहे गये। काउंटर बना हुआ था। तीन-चार लड़कियों के अलावा आधा दर्जन लोग काम में लगे थे। उन्हें घर बैठे हाथ से लिखने का काम दिया गया था। साथ ही पांच से छह हजार रुपये सैलरी देने का आश्वासन भी दिया था। इसके बदले में सभी युवकों से सिक्यूरिटी मनी के रूप में ढाई-ढाई हजार रुपये जमा करवाये गये थे।पुरानी पत्रिकाओं को देखकर लिखने का मिला काम:-रुपये जमा करने पर युवक और युवतियों को पुरानी पत्रिकाएं दी गयी थीं। उनमें छपे लेखों को सादे कागज पर हाथ से लिखने का काम दिया गया। पूछने पर बताया कि आपकी लिखी कागज दृष्टिबाधित लोगों के पढ़ने के काम आयेगी। कागज में छेद कर इन्हें दृष्टिबाधित लोगों के स्कूल में भेजा जायेगा। एक महीना बाद युवकों को लिखे गये कागज जमा कर सैलरी लेने को कहा गया था। शुक्रवार को अधिकतर युवा अपनी सैलरी लेने ही पहुंचे थे। उससे पहले की दफ्तर में ताला लग चुका था। हिरासत में लिये गये युवक होंगे रिहा:-थाना प्रभारी संतोष कुमार ने बताया कि हिरासत में लिये गये युवकों को छोड़ दिया गया है। इस मामले में अभी तक किसी ने भी संस्थान के खिलाफ लिखित शिकायत नहीं की है। आवेदन मिलने पर युवकों की शिकायत की जांच की जायेगी।

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