देश की सर्वोच्च परीक्षा UPSC में अनुपमा सिंह ने पहले ही अटेम्प्ट में 90वां रैंक लाकर सिद्ध कर दिया है कि अगर हौसला बुलंद हो तो सफलता निश्चित है. मौजूदा समय में लोगों के मन में यह विचार बन गया है कि शादी और बच्चों के बाद लड़कियों का प्रॉफेशनल करियर प्रभावित होने लगता है, ऐसे में अनुपमा ने यह साबित कर दिया है कि अगर मन में चाह हो कोई भी काम किया जा सकता है.
नालंदा की रहने वाली है अनुपमा
अनुपमा सिंह मूल रूप से बिहार के नालंदा जिला की रहने वाली हैं. उनके पिता योगेंद्र प्रसाद एमआर थे और अभी पटना के आलमगंज में रहते हैं
खुद डॉक्टर हैं अनुपमा
अनुपमा खुद डॉक्टर हैं. उन्होंने पीएमसीएच से एमबीबीएस किया है. जिसके बाद तीन साल तक पहले पटना एम्स और फिर एनएमसीएच में काम किया. इस दौरान उन्हें अहसास हुआ कि बतौर डॉक्टर आपकी अधिकार क्षेत्र सीमित होती है. एडमिनिस्ट्रेटिव बॉडी में आने के बाद आपके पास अधिकार होता है और आप जमीनी स्तर पर काम कर सकते हैं. इसलिए 2018 में हॉस्पिटल से इस्तीफा देकर यूपीएससी की तैयारी शुरू की.
3 साल के बच्चे को लेकर की तैयारी
यूपीएससी की परीक्षा में ऑल इंडिया 90वां रैंक लाने वाली अनुपमा के सामने चुनौतियां कम नहीं थी. वो अपने 3 साल के बेटे को छोड़ कर परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली गई. अनुपमा इसे सबसे बड़ी चुनौती मानती हैं. उनका कहना है कि इस पूरे सफर में उनके पति और परिवार का मुझे भरपूर सहयोग मिला, इसके बिना यह बिल्कुल ही संभव नहीं था. अनुपमा के पति रविन्द्र कुमार भी डॉक्टर हैं.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहती हैं
अनुपमा का कहना है कि उनका खास लगाव स्वास्थ्य विभाग के प्रति है और चाहती हैं कि उन्हें इस विभाग में काम करने का मौका मिले. बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था में वो क्या बदलाव चाहती हैं? इस सवाल पर अनुपमा ने कहा कि ” मैं चाहती हूं कि बिहार ही नहीं पूरे देश के लिए स्वास्थ्य संबंधी एक गवर्नमेंट बिल पास हो और उसके तहत काम हो. खास कर बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है
छात्रों के लिए अनुपमा के संदेश
उन्होंने कहा कि मोटिवेटेड रहकर और स्ट्रेटजी के साथ तैयारी करने पर सफलता जरूर मिलती है। साक्षात्कार में उनसे सिचुएशन बेस्ड प्रश्न ज्यादा पूछे गए थे। उनके पिता योगेंद्र प्रसाद आलमगंज में रहते हैं वे एमआर थे अभी रिटायर कर चुके हैं। उन्होंने नए तैयारी करने वालों को संदेश दिया कि सफलता प्राप्त करने का कोई शॉर्टकट नहीं होता। आपको सफलता प्राप्त करने के लिए एकाग्रता व पूरी ईमानदारी के साथ मेहनत करनी होगी। सबसे महत्वपूर्ण त्याग करना पड़ता है।