नालंदा लोकसभा सीट का जातीय समीकरण समझिए.. किस जाति के कितने वोट हैं

नालंदा लोकसभा सीट के लिए चुनाव प्रचार जोरों पर है. एनडीए और महागठबंधन दोनों अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. कहने को तो इस बार नालंदा लोकसभा सीट पर 35 उम्मीदवार मैदान में हैं. लेकिन मुख्य मुकाबला जदयू के कौशलेंद्र कुमार और हम के अशोक कुमार आजाद के बीच है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि किसका पलड़ा भारी है? क्या कौशलेंद्र कुमार जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे ? या अशोक कुमार आजाद पहली बार संसद पहुंच पाएंगे? बाकी निर्दलीय उम्मीदवार किसकी राहों में कितना रोड़ा अटका पाएंगे? ऐसे कई सवाल वोटरों और नालंदा वासियों के मन है.

क्या कहता है जातीय गणित
नालंदा ही क्यों देश की राजनीति में जाति अहम रोल निभाती है. कहा जाता है कि रोटी, बेटी और वोट जाति वालों को दिया जाता है. इसी के मुताबिक चुनाव में सियासी बिसात बिछाई जाती है. नालंदा में भी इस बार यही देखने को मिल रहा है . जदयू ने कुर्मी में भी घमैला कुर्मी को उम्मीदवार बनाया है . तो वहीं महागठबंधन की ओर से हम ने चंद्रवंशी समाज यानि कहार जाति के उम्मीदवार को उतारकर जेडीयू और बीजेपी के वोटबैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है. तो आइए अब नालंदा कि चुनावी बिसात को जाति के हिसाब से समझने की कोशिश करते हैं

सबसे ज्यादा कुर्मी वोटर 
नालंदा लोकसभा सीट में करीब 21 लाख वोटर हैं. जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा कुर्मी जाति का है. नालंदा लोकसभा सीट में कुर्मी वोटरों की संख्या 4 लाख 12 हजार है. इन्हें परंपरागत तौर पर जदयू का वोटर माना जाता है

दूसरे नंबर पर यादव
नालंदा लोकसभा सीट पर भले ही कुर्मी वोटर सबसे ज्यादा हैं. लेकिन दूसरे नंबर पर यादवों की संख्या है. यहां करीब 3 लाख 8 हजार यादव वोटर हैं. यानि कुर्मी से करीब 1 लाख 4 हजार वोटर कम हैं . इन्हें परंपरागत तौर पर राजद का वोटर माना जाता है.

तीसरे नंबर पर मुस्लिम वोटर
नालंदा लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों की भी अच्छी आबादी है.नालंदा संसदीय सीट पर 1 लाख 70 हजार मुस्लिम वोटर हैं. मुस्लिम वोटरों को एक समय राजद और कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता था. लेकिन बाद के समय में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू इसमें सेंध लगाने में सफल रही. मुस्लिम वोटरों का एक तबका जदयू के साथ चली गई. लेकिन मुस्लिम वोटर को बीजेपी विरोधी माना जाता है . इस बार बीजेपी और जदयू एक साथ है. ऐसे में इस बार मुस्लिम वोटरों का रुझान महागठबंधन की ओर है.

बनिया वोटरों की अच्छी तादाद
नालंदा लोकसभा सीट पर बनिया वोटरों की भी अच्छी तादाद है. नांलदा में करीब 1 लाख 60 हजार बनिया वोटर हैं. ये परंपरागत रुप से बीजेपी का वोटबैंक है. और इस बार भी ये एनडीए के कौशलेंद्र कुमार के पक्ष में ही दिख रहा है.

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पासवान वोटरों की भी अच्छी धमक है
नालंदा संसदीय सीट पर पासवान वोटरों की भी अच्छी तादाद है. नालंदा में करीब 1लाख 20 हजार पासवान वोटर हैं. पासवान वोटर अपने आप को रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा से खुद को जोड़ते हैं. इनका रुझान लोजपा के साथ रहता है. इस बार लोजपा एनडीए का हिस्सा है. ऐसे में पासवान वोटर जदयू को वोट दे सकती है. लेकिन इस बार चुनाव में पासवान जाति के चार उम्मीदवार मैदान में है. ऐसे में पासवान जाति के वोटरों का बिखराव हो सकता है. जो जदयू के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है.

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कुशवाहा वोटर हैं साइलेंट
नालंदा में कुशवाहा वोटरों की संख्या करीब 1 लाख है. इस बार उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन के साथ हैं. हालांकि कुशवाहा अपने आप को नीतीश कुमार की पार्टी से भी जोड़कर देखती है. ऐसे में कुशवाहा वोटर इस बार नालंदा में साइलेंट की भूमिका में हैं. अगर उपेंद्र कुशवाहा के नाम पर ये टूटे. तो कौशलेंद्र कुमार का हैट्रिक लगाने का सपना टूट सकता है.

बेलदार बिगाड़ सकता है गणित
नालंदा लोकसभा सीट पर करीब 95 हजार बेलदार वोटर हैं. ये अपने आपको निषाद वोटरों के करीब पाता है. यानि इनका रुझान मुकेश सहनी के वीआईपी पार्टी की ओर है. ऐसे में अगर ये महागठबंधन को वोट करते हैं तो जदयू का गणित गड़बड़ा सकता है ।

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नालंदा की रण में राजपूतों की निर्णायक भूमिका
नालंदा संसदीय सीट पर राजपूत वोटरों की संख्या भी निर्णायक है. ये खेल को बिगाड़ या बना सकते हैं .  क्योंकि नालंदा में राजपूत वोटरों की संख्या करीब 95 हजार है. खास बात ये है कि हर विधानसभा सीट में इनकी मौजूदगी है. हालांकि राजपूत वोटरों में ज्यादा का झुकाव बीजेपी के प्रति है लेकिन कुछ वोटर खुद को आरजेडी के करीब पाते हैं. ऐसे में राजपूत वोटों का बंटवारा हो सकता है

भूमिहार-कायस्थ और ब्राह्मण वोटर
भूमिहार, कायस्थ और ब्राह्मण ये तीनों बीजेपी के वोट बैंक माने जाते हैं. ये तीनों मिलाकर करीब डेढ़ लाख वोटर हैं. जिसमें भूमिहार वोटरों की संख्या लगभग 95 हजार है. जबकि बाकी में कायस्थ और ब्राह्मण हैं .

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कहार-मांझी- पासी और रविदास का गठजोड़ ने उड़ाई नींद
नालंदा लोकसभा सीट पर कहार वोटरों की संख्या करीब 75 हजार है. जबकि  65 हजार मांझी और 95 हजार पासी चौधरी हैं. जबकि
रविदास वोटरों की संख्या करीब 90 हजार है. यानि अगर इन चारों को मिला दें तो करीब 3 लाख 15 हजार वोटर हो जाते हैं. महागठबंधन ने इसी गठजोड़ के सहारे नीतीश कुमार को उनके गढ़ में मात देने की रणनीति बनाई है. क्योंकि महागठबंधन के उम्मीदवार खुद चंद्रवंशी यानि कहार जाति से हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कहार जाति बीजेपी का साथ छोड़कर महागठबंधन के साथ है. जबकि मांझी और पासी के साथ साथ इस बार रविदास का रुझान भी महागठबंधन की ओर दिख रहा है .

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इसके अलावा माहुरी 25 हजार, कानू और दूसरी जाति के वोटर हैं. यानि आने वाले दिनों में नालंदा में काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा

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